महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है हम में हलाक-ए-ताले-ए-बेदार कौन है हम अपने साए से तो भड़क कर अलिफ़ हुए देखा नहीं मगर पस-ए-दीवार कौन है हर लम्हे की कमर पे है इक महमिल-ए-सुकूत लोगो बताओ क़ातिल-ए-गुफ़्तार कौन है घर घर खिले हैं नाज़ से सूरज-मुखी के फूल सूरज को फिर भी माने-ए-दीदार कौन है पत्थर उठा के दर्द का हीरा जो तोड़ दे वो कज-कुलाह बाँका तरह-दार कौन है