महसूस होती ही नहीं तेरी कमी मुझे ले आई किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे नींद आने का कोई नहीं इम्काँ सो रात भर मैं देखता रहूँगा घड़ी को घड़ी मुझे अपना ख़याल रक्खेंगे सोएँगे वक़्त पर जो बात मैं ने कहनी थी उस ने कही मुझे बाक़ी वो पूरा पूरा खुला मुझ पे ख़ुद-बख़ुद बंद-ए-क़बा की गिर्हें थीं बस खोलनी मुझे अच्छे नसीब वाला था तू यार इस लिए ये रौशनी मिली है तुझे तीरगी मुझे हैं सौ तरीक़े ग़म से रिहाई के मेरे पास फ़नकार हूँ पसंद नहीं ख़ुद-कुशी मुझे ऐसी जगह थे दोनों में से इक ने मरना था 'कौनैन' उस को प्यारा था मैं ज़िंदगी मुझे