मैं आसमान में पहला सितारा देखते ही हूँ अपने आप से ख़ारिज ख़सारा देखते ही था रौनक़ों में घिरा जब था बीच दरिया के अब आबदीदा हूँ ख़ाली किनारा देखते ही नशात-ए-जज़्ब से मैं अपने होश खो बैठा जुनूँ का सर में बहुत आश्कारा देखते ही है कैसा दर्द जो दिल के हुआ है दामन-गीर नज़र पे बार हों रंग-ए-नज़ारा देखते ही अभी मैं सहर की पहली नज़र से निकला न था तमाशा बन गया उस को दोबारा देखते ही बस अब ये होगा कि तुम पर ही आँच आएगी 'तूर' भड़क उठा है वो दिल का शुमारा देखते ही