हो जुस्तुजू जिसे हर सर की संग-ए-दर के लिए वो सज्दा-गाह नहीं है हमारे सर के लिए फ़क़त नशेमन-ओ-दाम-ओ-क़फ़स की बात नहीं अभी कुछ और भी बाक़ी है बाल-ओ-पर के लिए मुझे नसीब हुए तुम तो मैं यही समझा असर दुआ के लिए है दुआ असर के लिए ग़म-ए-हयात ग़म-ए-आशिक़ी ग़म-ए-उक़्बा कुछ और भी हो अता उम्र-ए-मुख़्तसर के लिए इधर जुनूँ है उधर अक़्ल सोचता क्या है कि ये मक़ाम नहीं है अगर मगर के लिए 'सहर' के सर की तमन्ना करें न दैर-ओ-हरम ये वक़्फ़ है किसी काफ़िर के संग-ए-दर के लिए