मैं बोली तेरे लब पर है हँसी मेरी वो बोला मत बढ़ाओ बेकली मेरी मैं बोली शाहज़ादे मोल क्या मेरा वो बोला शाहज़ादी ज़िंदगी मेरी में बोली तीरगी हर-सू ज़ियादा है वो बोला फैलने दो रौशनी मेरी मैं बोली हिज्र में कैसे जिओगे तुम वो बोला रुक न जाए साँस ही मेरी मैं बोली ख़्वाब किस का देखते हो तुम वो बोला आँख में देखो कभी मेरी मैं बोली क्यूँ बहुत बेचैन रहते हो वो बोला क़हर है दिल की लगी मेरी मैं बोली तुम सुख़न के शाहज़ादे हो वो बोला तुम हो जानाँ शाइ'री मेरी मैं बोली ज़िंदगी पर दुख के साए हैं वो बोला तुम 'रबाब' अब हर ख़ुशी मेरी