मैं चला जाऊँगा रह जाएगा अफ़्साना मिरा ज़िक्र करते ही रहेंगे सब हरीफ़ाना मिरा मय मुझे ममनूअ' साग़र दस्तरस से दूर है और फ़रमाता है साक़ी है ये मय-ख़ाना मिरा अब तो जाना ही नहीं होता है वाअदा-गाह में मुद्दतों तक ये रहा मा'मूल रोज़ाना मिरा खींचता है कौन सा एहसास अब उस की तरफ़ हो चुका है जिस से यकसर क़ल्ब बेगाना मिरा बोरिया मौजूद है आँखें भी फ़र्श-ए-राह में आइए तो घर है ये हाज़िर ग़रीबाना मिरा कैफ़ियत बाहम मोहब्बत में वो सरशारी की है आशिक़ाना उन का तौर अंदाज़ जानाना मिरा पूछता फिरता है 'शौकत' कोई मेरे बा'द अब क्या हुआ रहता था याँ जो एक दीवाना मिरा