कुछ रोज़ से परेशाँ वो ज़ुल्फ़-ए-मुश्कबू है मेरे ही हाल-ए-दिल की तस्वीर हू-ब-हू है ये किस की आरज़ू है ये किस की जुस्तुजू है किस की तलाश में दिल आवारा कू-ब-कू है ऐ बे-अदब ये कैसा अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू है कम्बख़्त कुछ ख़बर है तू किस के रू-ब-रू है फिर कोई ज़ख़्म ताज़ा शायद मिलेगा दिल को तामीर-ए-आशियाँ की फिर दिल को आरज़ू है उन के करम की हसरत उन के सितम का शिकवा मुद्दत से 'शौक़' अपना मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है