मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है बयाँ तो हो नहीं सकती जो अपनी हालत है मिरे सफ़ीने को धारे पे डाल दे कोई मैं डूब जाऊँ कि तिर जाऊँ मेरी क़िस्मत है रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़ शबाब कहते हैं जिस चीज़ को क़यामत है लताफ़तें सिमट आती हैं ख़ुल्द की दिल में तसव्वुरात में अल्लाह कितनी क़ुदरत है