मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है By Ghazal << मोहब्बत है अज़िय्यत है हु... मैं दिल को चीर के रख दूँ ... >> मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है गुफ़्तुगू से जुनूँ टपकता है मस्त हूँ मैं मिरी नज़र से भी बादा-ए-लाला-गूँ टपकता है हाँ कभी ख़्वाब-ए-इश्क़ देखा था अब तक आँखों से ख़ूँ टपकता है आह 'अख़्तर' मेरी हँसी से भी मेरा हाल-ए-ज़बूँ टपकता है Share on: