मैं फ़तह-ए-ज़ात मंज़र तक न पहुँचा मिरा तेशा मिरे सर तक न पहुँचा उसे मेमार लिक्खा बस्तियों ने कि जो पहले ही पत्थर तक न पहुँचा तिजारत दिल की धड़कन गिन रही है तअल्लुक़ लुत्फ़-ए-मंज़र तक न पहुँचा शगुफ़्ता गाल तीखे ख़त का मौसम दोबारा नख़्ल-ए-पैकर तक न पहुँचा बहुत छोटा सफ़र था ज़िंदगी का मैं अपने घर के अंदर तक न पहुँचा ये कैसा प्यास का मौसम है 'अहमद' समुंदर दीदा-ए-तर तक न पहुँचा