मैं हूँ ना-मुराद वफ़ा-ए-ग़म न तो मैं नसीब-ए-बहार हूँ जो न खिल सके वही गुल हूँ मैं कि चमन का मैं वो फ़िगार हूँ मिरे ग़म की राहों से न मिरा कभी हसरतों का सिरा मिला मैं मोहब्बतों की गली में गुम हुआ जुस्तुजू का ग़ुबार हूँ मेरे दिल से गुज़री जो आज तक वो हवा थी तेरी तलाश में तुझे देख कर जो बिखर गया मैं वो टूटे दिल का क़रार हूँ मेरी आँख से जो टपक गए वो थे मोती तेरी ही याद के जो छुपा के भी न छुप सका वो तिरे सितम का शुमार हूँ तुझे पा के भी तुझे खो दिया मैं ने ख़ुद को ही यूँ गँवा दिया मुझे नाज़ है मेरे दिल के अपनी वफ़ा का मैं ही ख़ुमार हूँ तेरी तल्ख़ हाथों से जुड़ गया 'सबा' नाम मेरा भी इस तरह कि अभी अभी किसी ग़ैर से सुना ऐब का मैं दयार हूँ