मैं इन हसीन नज़ारों के पास आ न सका ख़िज़ाँ-नसीब बहारों के पास आ न सका रहा फ़लक पे सितारों में जल्वा गर महताब वो अपने सीना-फ़गारों के पास आ न सका तमाम उम्र रहा हम-कनार मौजों से सफ़ीना अपना किनारों के पास आ न सका गदा-ए-इश्क़ की दौलत थी फ़िक़्ह-ओ-इस्ति़ग़ना वो माल-ओ-ज़र के सहारों के पास आ न सका जहाँ में आम ग़म-ए-रोज़गार था 'नय्यर' मगर वो इश्क़ के मारों के पास आ न सका