मैं कह रहा हूँ सब को दोबारा करख़्त है उस ने किया है जो वो इशारा करख़्त है ये तोड़ने लगा है मुझे भी दरून-ए-इश्क़ ख़्वाहिश का जलता बुझता सितारा करख़्त है इक रोज़ तोड़ देगा तुझे हिज्र याद रख ये संग यार सारे का सारा करख़्त है सच्चाई के मिज़ाज से वो आश्ना नहीं उस को लगा है लहजा हमारा करख़्त है कहता हूँ मैं दुरुस्त मिरी बात मान ले दरिया नहीं है दोस्त किनारा करख़्त है 'मन्नान' ने तो राय अभी दी नहीं जनाब ये आग कह रही है शरारा करख़्त है