सारे नहीं जुनून में ऐसे पड़े हुए हम लोग हैं ज़मीन पे जैसे पड़े हुए आप आए हैं तो उट्ठा हूँ इतना रहे ख़याल इक उम्र हो गई मुझे वैसे पड़े हुए शोहरत ने कर दिया मिरा जीना भी अब मुहाल ये लोग मेरे पीछे हैं कैसे पड़े हुए ख़्वाबों की रेज़गारी लिए फिर रहा हूँ में हैं मेरी जेब में यही पैसे पड़े हुए मुमकिन अगर हो कोई किया जाए इंतिज़ाम ख़ाली सुबू हैं दोस्तो मय से पड़े हुए कोशिश के बावजूद भी खुलता नहीं कि हैं जज़्बात लग के कौन सी शय से पड़े हुए