मैं कैसे लौट के जाऊँगा अपने घर यारो के मेरे क़दमों से लिपटी है रहगुज़र यारो न रास आएगा मुझ को कोई शजर यारो अभी तवील बहुत है मिरा सफ़र यारो अभी तो शानों पे क़ाएम है मेरा सर यारो जुनूँ नहीं है अभी मेरा मो'तबर यारो सितम तो देखिए पर्वाज़ की दुआ दे कर कुतर रहा है कोई मेरे बाल-ओ-पर यारो वो एक लम्हा कि जो हासिल-ए-हयात बने तलाश करता है इंसान उम्र-भर यारो मैं आसमाँ हूँ बुलंदी मक़ाम है मेरा झुकाए फिरता हूँ फिर भी मैं अपना सर यारो तमाम-उम्र का हासिल हँसी घड़ी-भर की कहाँ से लाए कोई फूल का जिगर यारो