मैं ने दुनिया में फ़क़त देखे हैं जाने वाले मैं ने देखे ही नहीं हैं कभी आने वाले रोते रोते मिरे दिल से जो सदा आती है रोने लग जाते हैं फिर मुझ को मनाने वाले जब कोई छोड़ के जाता है तो दिल कहता है क्या कभी लौट के आते हैं ये जाने वाले हम जो बे-घर हैं हमें ख़ूब समझ आता है किस नज़र से हमें तकते हैं ठिकाने वाले बाक़ी रहता नहीं है कुछ भी सिवा-ए-ग़म के राख तक लूट के लेते हैं जलाने वाले रोज़-ओ-शब मार दिया जाता है 'फ़ैसल' हम को चैन से जीने नहीं देते ज़माने वाले