मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया जिस से जो व'अदा किया पूरा किया अपनी यादें उस से वापस माँग कर मैं ने अपने-आप को यकजा किया काश उस पर चल भी सकता मैं कभी उम्र भर हमवार जो रस्ता किया सुल्ह का पैमाँ किया हर शख़्स से और अपने-आप से झगड़ा किया इश्क़ में इक शख़्स क्या बिछड़ा 'ज़फ़र' मैं ने हर परछाईं का पीछा किया