मैं ने ख़ुद को जो है किया ख़ामोश दर्द भी हो गया मिरा ख़ामोश जब मिरे पाँव में थकन न मिली हो गया मेरा रास्ता ख़ामोश दे रही थी सदा मोहब्बत की हो गई है वही सबा ख़ामोश उस को सारे जवाब मिलते थे मैं सवालों पे जब रहा ख़ामोश ज़ोर तूफ़ाँ ने सब लगा डाला पर हुआ न मिरा दिया ख़ामोश बोलना मैं भी चाहता था मगर कुछ ज़बानों ने कर दिया ख़ामोश मौत की क्या उसे ज़रूरत है अब तो 'इरफ़ान' हो गया ख़ामोश