मैं निकल के आ गया हूँ तिरी बंदगी से आगे अभी कितना रास्ता है मिरी ज़िंदगी से आगे तिरी शम्अ' छोड़ आया तिरी मस्जिदों में यारब मैं तुझी को ढूँडता हूँ तिरी रौशनी से आगे मिरा हाल हो कुछ ऐसा तुझे पा के भूल जाऊँ कोई ऐसी बे-ख़ुदी हो मिरी बे-ख़ुदी से आगे जहाँ मौत समझूँ अपनी वहीं ज़िंदगी जवाँ हो कोई रास्ता न पाऊँ मैं तिरी गली से आगे वो चराग़ जल न पाए मिले दिल में ऐ 'मुसव्विर' कोई और शाइ'री है मिरी शाइ'री से आगे