मैं रोता हूँ आह-ए-रसा बंद है By Ghazal << फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी ... मैं अपने सूरज के साथ ज़िं... >> मैं रोता हूँ आह-ए-रसा बंद है बरसता है पानी हवा बंद है नहीं मुर्ग़-ए-जाँ जिस्म-ए-सद-चाक में हमारे क़फ़स में हुमा बंद है कहाँ क़ाफ़िला तक रसाई मुझे मैं हूँ लंग शोर-ए-दरा बंद है दिल-ए-वहशी अपना छुटे किस तरह कि ज़ंजीर-ए-गेसू का पाबंद है Share on: