मैं तेरे साथ चल नहीं सकता तू रवय्या बदल नहीं सकता आए दरवेश गर जलाली में फिर ये सूरज निकल नहीं सकता राज़ मिट्टी में है कोई शायद धूप में पेड़ जल नहीं सकता दस को पाले है बाप तन्हा ही दस से क्यों बाप पल नहीं सकता जिस में शामिल हो सूद की लज़्ज़त मैं वो लुक़्मा निगल नहीं सकता तेरे आँसू फ़ुज़ूल हैं 'तारिक़' अब ये पत्थर पिघल नहीं सकता