मैं तिरी बात चमेली से करूँ शे'र कह दूँ कि पहेली से करूँ ऐसी तारी है उदासी अब कि कब तिरा ज़िक्र सहेली से करूँ आँख में भीगता है काजल भी रंग जो माँद हथेली से करूँ लौट आती है तिरे नाम की गूँज जूँ सदा बंद हवेली से करूँ दिन से कुछ दोस्ती नहीं मेरी बात मैं रात अकेली से करूँ