मैं तो पागल हूँ मिरी आँख के आँसू पे न जा इश्क़ बस ख़्वाब है इस ख़्वाब के जादू पे न जा अब पलट कर नहीं शहरों को मैं जाने वाली मिरे जंगल तू परेशानी-ओ-हा-हू पे न जा मैं तिरा रक़्स हूँ इस रक़्स को पूरा कर ले थक के यूँ टूट के गिरते हुए घुंघरू पे न जा गर्मी-ए-रक़्स के थमते ही थमेंगे हम सब हिस्सा-ए-रक़्स है इस जुम्बिश-ए-अबरू पे न जा