मैं तुझे आया हूँ ईमाँ बूझ कर बाइ'स-ए-जमइय्यत-ए-जाँ बूझ कर बुलबुल-ए-शीराज़ कूँ करता हूँ याद हुस्न कूँ तेरे गुलिस्ताँ बूझ कर दिल चला है इश्क़ का हो जौहरी लब तिरे ला'ल-ए-बदख़्शाँ बूझ कर हर न करती है नज़ारे की मशक़ ख़त कूँ तेरे ख़त्त-ए-रैहाँ बूझ कर ऐ सजन आया हूँ हो बे-इख़्तियार तुझ कूँ अपना राहत-ए-जाँ बूझ कर ज़ुल्फ़ तेरी क्यूँ न खाए पेच-ओ-ताब हाल मुझ दिल का परेशाँ बूझ कर रहम कर उस पर कि आया है 'वली' दर्द-ए-दिल का तुझ कूँ दरमाँ बूझ कर