मैं उसूलों से बग़ावत नहीं करने वाली कभी तौहीन-ए-मोहब्बत नहीं करने वाली मुझ को नज़राना-ए-दिल पेश न कीजे साहब हर किसी से मैं मोहब्बत नहीं करने वाली जो शराफ़त की हदों में कभी रहते ही नहीं ऐसे लोगों की मैं इज़्ज़त नहीं करने वाली तू ने दिल तोड़ दिया कर दिया महरूम-ए-वफ़ा फिर भी मैं तेरी शिकायत नहीं करने वाली ख़ून-ए-मज़लूम से जो प्यास बुझाएँ अपनी मैं कभी उन की हिमायत नहीं करने वाली मेरे दिल ने जिसे चाहा वही सब कुछ है मिरा मैं मोहब्बत की तिजारत नहीं करने वाली ऐ 'अना' मेरी तबीअत में है शोख़ी लेकिन दिल-शिकन कोई शरारत नहीं करने वाली