मैं वहाँ हूँ कि नहीं चाहे तो जा कर देखे कूज़ा-गर ख़ुद मिरी मिट्टी में समा कर देखे बाद में रखे सराबों के दयारों में क़दम पहले वो साँस की सरहद पे तो आ कर देखे मिरे इज़हार को कुछ और समर-वर कर दे वो मुझे लम्स की शाख़ों पे उगा कर देखे गूँज उट्ठे कोई खोई हुई दुनिया शायद मिरे ख़लियों में वो आवाज़ लगा कर देखे देखें फिर रक़्स में आते हैं भँवर कितने 'रियाज़' कोई पानी पे मिरा नाम बहा कर देखे