मैं ने कब रखना था उस बुत को ख़ुदा से पहले काश मुझ पर ये खुला होता क़ज़ा से पहले कितनी पाताल सराओं में भटकता रहा हूँ राहत-ए-जाँ तिरी आराम-सरा से पहले हम वो ख़ुशबू हैं जो यकताई की ख़ू रखते हैं राब्ते तोड़ के आ बाद-ए-सबा से पहले दिल तिरे कुफ़्र पे हैरान नहीं है मिरे दोस्त ला की मंज़िल भी है इक़रार-ए-वफ़ा से पहले अब ज़रूरी है सो है दर्द बरतने का हुनर चुप के अरकान अदा कीजे सदा से पहले तो ज़रूरत हर इक ईजाद की माँ है या'नी ज़ख़्म ईजाद किया उस ने दवा से पहले