मज़लूम का है कौन मदद-गार देखना है कौन ज़ालिमों का परस्तार देखना है ज़ेर-ए-तेग़ सर मिरा मुझ को सुकूँ है मेरी तरह है कौन वफ़ादार देखना मेरे क़लम के वार से नस्लों का सर कटा मिल जाए कोई ऐसी जो तलवार देखना भूका न सोए जिस की हुकूमत में कोई भी क्या ऐसी कोई मिलती है सरकार देखना तुम भी ज़रा ज़मीन पे चल-फिर के देख लो टिकती नहीं है ज़ुल्म की दीवार देखना शिकवा भुला के हम ने भी अपना लिया उसे मुझ सा नहीं है कोई भी दिलदार देखना बीमार हो के भी वो शिफ़ा बाँटता रहा मिलता है ऐसा भी कोई बीमार देखना उस की तरह हसीन मिलेगा कोई नहीं इक बार देखना नहीं सौ बार देखना इतना यक़ीं है लुत्फ़ बहुत आएगा तुम्हें पढ़ कर ज़रा 'तुराब' के अशआ'र देखना