मकान चेहरे दुकान चेहरे हमारी बस्ती की जान चेहरे उजाड़ नस्लों के नौहागर हैं ख़िज़ाँ-रसीदा जवान चेहरे धुआँ धुआँ मंज़रों का हिस्सा ख़याल ख़ुश्बू गुमान चेहरे रिवायतों के नुक़ूश जिन पर वो खंडरों से मकान चेहरे कोई तअस्सुर हो ज़िंदगी का करें ख़ुशी ग़म बयान चेहरे कोई नहीं है किसी से वाक़िफ़ नगर में सब बे-निशान चेहरे 'हनीफ़' क़द्रें बदल चुकी हैं न ढूँड वो दरमियान चेहरे