मालूम है वो मुझ से ख़फ़ा है भी नहीं भी मेरे लिए होंटों पे दुआ है भी नहीं भी मुद्दत हुई इस राह से गुज़रे हुए उस को आँखों में वो नक़्श-ए-कफ़-ए-पा है भी नहीं भी मुँह खोल के बोला नहीं जाता कि शिफ़ा दे उस पास मिरे दिल की दवा है भी नहीं भी कहते थे कभी हम कि ख़ुदा है तो कहाँ है अब सोच रहे हैं कि ख़ुदा है भी नहीं भी रक्खे भी नज़र बज़्म में देखे भी नहीं वो औरों से ये अंदाज़ जुदा है भी नहीं भी गो ज़ीस्त है मिटती हुई साँसों का तसलसुल क़िस्तों में ये जीने की सज़ा है भी नहीं भी या दिल में कभी या कभी सड़कों पे मिलेंगे हम ख़ाना-ख़राबों का पता है भी नहीं भी हम से जो बना सब के लिए हम ने किया है मालूम है नेकी का सिला है भी नहीं भी वो मोम भी है मेरे लिए संग भी 'आज़र' कहते हैं कि इस दिल में वफ़ा है भी नहीं भी