मान जा देख ए'तिबार न कर वो न आएँगे इंतिज़ार न कर अपना ग़म रो के आश्कार न कर चाँद तारों को अश्क-बार न कर रहम कर ऐ जुनून-ए-ज़ौक़-ए-नज़र मुझ को बेगाना-ए-बहार न कर रिंद बन देख कैफ़-ए-बादा न बन उन निगाहों का ए'तिबार न कर तौबा तौबा तिरा गिला और मैं मुझ को इतना तू शर्मसार न कर होश को इज़्न-ए-बे-ख़ुदी दे कर ज़िंदगी का भी ए'तिबार न कर मुझ को दुनिया की आफ़तें हैं क़ुबूल ग़म-दिली उन को सोगवार न कर ये है तौहीन-ए-ज़ब्त-ए-ग़म नादाँ अश्क-ए-ग़म हुस्न पर निसार न कर देख अंजाम-ए-तूर क्या है 'वकील' मंज़िल-ए-शौक़ इख़्तियार न कर