माना कि तू सवार है और मैं पियादा हूँ मुझ से हज़र न कर कि शनासा-ए-जादा हूँ बातिन में सख़्त काफ़िर-ओ-पुर-पेच ओ तह-ब-तह ज़ाहिर में एक हम-सफ़र-ए-सहल-ओ-सादा हूँ इक शहर-ए-ज़र-निगार है अक़्लीम-ए-शर्क़ में उस शहर-ए-ज़र-निगार का मैं शाहज़ादा हूँ वा हैं दरीचा-हा-ए-ख़िरद मेरी रूह पर किस ने कहा ख़राब-ए-ख़राबात-ओ-बादा हूँ ऐ ख़िज़्र! क़ुत्ब-ए-वक़्त की ता-चंद जुस्तुजू मेरा मुरीद हो कि क़वी-उल-इरादा हों मैं हम-रह-ए-शमीम न उड़ता सबा के साथ? उफ़्ताद तो यही है कि बर्ग-ए-फ़तादा हूँ तीर-अफ़गनों की सफ़ है उधर और मैं इधर सीना-सिपर 'रईस' ब-क़ल्ब-ए-कुशादा हूँ