माँगे बग़ैर मुझ को अपनी किताब देना उस में छुपा के मेरे ख़त का जवाब देना देखा उसे तो मुँह से बे-साख़्ता ये निकला देना जिसे भी यारब ऐसा शबाब देना मुझ में समा न जाए इस ज़िंदगी की तल्ख़ी साक़ी शराब देना साक़ी शराब देना गुज़रे हैं ज़िंदगी में ऐसे भी दिन 'रिशी' पर ख़ुद ही सवाल करना ख़ुद ही जवाब देना