ख़ू-ए-ग़म दिल को है या'नी हिस-ए-ग़म कुछ भी नहीं क्या है अब कार-गह-ए-नाज़-ओ-सितम कुछ भी नहीं रोज़-ए-फ़रियाद से मग़्लूब नहीं ताक़त-ए-शुक्र जब्र-ए-तक़दीर-ओ-गिराँ बारी-ए-ग़म कुछ भी नहीं ज़िंदगी मुज़्दा-ए-ग़म मौत नवेद-ए-ग़म-ए-नौ कोई रूदाद ब-हर-शान-ए-करम कुछ भी नहीं इक तरफ़ हश्र में तू एक तरफ़ बहर-ए-करम दामन-ए-तर तो अब ऐ दीदा-ए-नम कुछ भी नहीं दर्ख़ुर-ए-बेखु़दी-ए-दिल न अलम है न सुरूर ज़हर-ए-ग़म कुछ भी नहीं साग़र-ए-जम कुछ भी नहीं फ़र्क़-ए-ज़र्फ़-ए-दिल-ओ-पैमाना-ए-तक़दीर न पूछ उस ने भरपूर दिया और उसे ग़म कुछ भी नहीं क्या ख़बर क्या है ये हंगामा-ए-हस्ती 'मानी' हम को इतना तो है मालूम कि हम कुछ भी नहीं