मा'नी की क़ैद है न कोई और हिसाब है मेरी लुग़त में दिल से मुराद इज़्तिराब है मैं पढ़ चुका हूँ सारे जहाँ के उलूम भी दुनिया मिरे मिज़ाज की पहली किताब है नीली अगर हैं आँखें तो अंगूर सुर्ख़ हैं हर क़िस्म की शराब यहाँ दस्तियाब है पूछो अगर चराग़ से ये काम हो सके वर्ना मिरी निगाह में इक आफ़्ताब है बनता नहीं किसी से भी मेरा मुवाज़ना मेरे अलावा कौन यहाँ कामयाब है ज़ुल्फ़ों को ठीक करने की कोशिश न कीजिए ये काएनात रोज़-ए-अज़ल से ख़राब है तेज़ाब गिर रहा है ज़मान-ओ-मकान पर बारिश नहीं है ये तो ख़ुदा का अज़ाब है