मंज़ूर-ए-नज़र है दिल-ए-ग़म-ख़्वार तुम्हारा By Ghazal << शब-ए-विसाल हँसी आती है मु... क्या ग़म-ए-हिज्र उठा कर क... >> मंज़ूर-ए-नज़र है दिल-ए-ग़म-ख़्वार तुम्हारा जो यार हमारा है वही यार तुम्हारा दम हसरत-ए-दीदार ने आँखों से निकाला अब तुम को मुबारक रहे दीदार तुम्हारा तुर्बत में 'जिगर' ज़ेर-ए-कफ़न हाथ है दिल पर अच्छा न हुआ मर के भी आज़ार तुम्हारा Share on: