होगा उजाला दा'वे-दारी उस की थी और अँधेरे से भी यारी उस की थी शुक्र ख़ुदा का जीत गए हम जंग मगर हम से बेहतर तो तय्यारी उस की थी ये भी सच है मैं इस बार भी आगे था ये भी सच है अब के बारी उस की थी मेरे बस में रूठ के जाना था मंज़ूर मुझे मनाना ज़िम्मेदारी उस की थी