मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे ये दुनिया हो या वो दुनिया अब ख़्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किस को थी अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों ने जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे दुनिया ने हमें छोड़ा 'जज़्बी' हम छोड़ न दें क्यूँ दुनिया को दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे