क्या कहूँ क्या मिला है क्या न मिला दिल भी शायान-ए-दिलरुबा न मिला तल्ख़ी-ए-ज़िंदगी अरे तौबा ज़हर में ज़हर का मज़ा न मिला हम को अपनी ख़बर न दामन की चश्म-ए-रहमत को इक बहाना मिला लाख मिलने का एक मिलना है कि हमें इज़्न-ए-इल्तिजा न मिला फ़ित्ना-ए-रिंद-ओ-मोहतसिब तौबा बरमला कोई पारसा न मिला थी बड़ी भीड़ उस के कूचे में ख़िज़्र आए थे रास्ता न मिला किस से मिलिए 'रविश' कि दिल्ली में सब मिले वो ख़ुद-आश्ना न मिला