मरते दम ओ बेवफ़ा देखा तुझे इक नज़र देखा तो क्या देखा तुझे ऐ परी-रू क्यूँ न मैं दीवाना हूँ बाल खोले बारहा देखा तुझे निकहत-ए-गुल भी न लाई ता-क़फ़स चल हवा हो ऐ सबा देखा तुझे गिर्या-ए-बुलबुल पर उस ने हँस दिया जिस ने ऐ गुलगूँ-क़बा देखा तुझे दीद में हर-चंद सौ नुक़सान थे फ़ाएदा इक ये हुआ देखा तुझे हल्क़ा-ए-गेसू है गर्दन में पड़ा आप अपना मुब्तला देखा तुझे क्या तिरी नैरंगियाँ कीजे बयान सब में और सब से जुदा देखा तुझे बर्क़-ए-आफ़त आज ही हम पर गिरी वर्ना हँसते बारहा देखा तुझे आज तक ऐ बेकसी छोड़ा न साथ एक साबित आश्ना देखा तुझे दुज़्दी-ए-दिल का यक़ीं हो किस तरह किस ने ऐ दुज़्द-ए-हिना देखा तुझे हम ने 'ग़ाफ़िल' बुत-कदे में दहर के एक मर्द-ए-बा-ख़ुदा देखा तुझे