मसअले महरूमियाँ बे-कैफ़ियाँ सर्द कॉफ़ी जलते सिगरेट रेस्तोराँ मुज़्तरिब मौहूम मख़्फ़ी इक ख़लिश बा'इस-ए-बर्बादी-ओ-आराम-ए-जाँ तंज़ इस्तेहज़ा तमस्ख़ुर बरमला लगता है वो भी था मेरा राज़-दाँ सुर्ख़ चेहरे प्यासी आँखें ज़र्द जिस्म आज-कल मिलती हैं कैसी लड़कियाँ