कितनी हसीन है शाम चलो शाइ'री करें छोड़ो ये ताम-झाम चलो शाइ'री करें इस शुग़्ल में न वक़्त न मौसम की शर्त है हो सुब्ह या कि शाम चलो शाइ'री करें मरहूम शाइ'रों का जो मिल जाए कुछ कलाम सरक़े का ले के जाम चलो शाइ'री करें अपना भी कुछ कलाम हो औरों के माल में दो चार दस ग्राम चलो शाइ'री करें ससुराल में भी दाल का गलना मुहाल है साले हैं बे-लगाम चलो शाइरी करें ख़ाली है जेब घर में भी खाने को कुछ नहीं आया है वो मक़ाम चलो शाइ'री करें काग़ज़ भी है क़लम भी है हुक़्क़ा चिलम भी है पूरा है इंतिज़ाम चलो शाइरी करें