मस्त हम को शराब में रहना कुछ हो इस सैर-ए-आब में रहना अभी तो कुछ नीं किया है ग़ुस्से हो यूँही यूँही इताब में रहना और से बे-हिजाबियाँ करना एक हम से हिजाब में रहना तुझ बिन ऐ शम्अ-रू मुझे हर शब शोला सा इज़्तिराब में रहना याद में उस की ज़ुल्फ़ की ऐ दिल कब तईं पेच-ओ-ताब में रहना कुछ तनब्बोह तुझे नहीं अब तक नाम 'बेदार' ख़्वाब में रहना