मस्त-ए-निगाह-ए-नाज़ का अरमाँ निकालिए बे-ख़ुद बना के बज़्म से ऐ जाँ निकालिए हुस्न-ए-नज़ारा-सोज़ की हैं लन-तरानियाँ अरमान-ए-दीद मूसी-ए-इमराँ निकालिए पिन्हाँ है कुफ़्र इश्क़ में ईमान-ए-आशिक़ाँ ज़ुल्मत से नूर-ए-चश्मा-ए-हैवाँ निकालिए दम भर में धोए जाएँगे सब दाग़-ए-मासियत यक क़तरा अश्क तजरबा-सामाँ निकालिए तौहीद में है नक़्श-ए-दो-रंगी हिजाब-ए-ज़ात ज़ौक़-ए-नज़र का हौसला ऐ जाँ निकालिए जब जल्वा-हा-ए-वादी-ए-ऐमन नज़र में हों ख़ातिर से वहम-ए-रौज़ा-ए-रिज़वाँ निकालिए दिल को बना के नुक़्ता-ए-परकार-ए-आफ़ियत पा-ए-तलब ब-हिम्मत-ए-मर्दां निकालिए ज़िक्र-ए-ख़फ़ी अज़ल से है विर्द-ए-दिल-ओ-ज़बाँ शक है तो तन से तार-ए-रग-ए-जाँ निकालिए कौनैन ऐन-ए-इल्म में है जल्वा-गाह-ए-हुस्न जेब-ए-ख़िरद से ऐनक-ए-इरफ़ाँ निकालिए हर जाम में है अक्स-ए-रुख़-ए-यार जल्वा-गर ऐ दिल सबील-ए-सोहबत-ए-रिंदाँ निकालिए मक़बूलियत सुख़न की है 'साहिर' जो रंग-ए-बज़्म रंग-ए-अयार-ए-तब-ए-सुख़न-दाँ निकालिए