मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है By Ghazal << तुम से भी अब तो जा चुका ह... जब नाम तिरा लीजिए तब चश्म... >> मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है मौज-ए-शराब यक-मिज़ा-ए-ख़्वाब-नाक है जुज़ ज़ख्म-ए-तेग़-ए-नाज़ नहीं दिल में आरज़ू जेब-ए-ख़याल भी तिरे हाथों से चाक है जोश-ए-जुनूँ से कुछ नज़र आता नहीं 'असद' सहरा हमारी आँख में यक-मुश्त-ए-ख़ाक है Share on: