मत झुको पुर-वक़ार सर है तो ग़म उठा लो अगर जिगर है तो इश्क़ की राह पुर-ख़तर है तो मत करो इश्क़ दिल में डर है तो ये अलग बात है न पूछो तुम मेरे अहवाल की ख़बर है तो ज़ेर-ए-लब अब वो मुस्कुराते हैं मेरी आहों का कुछ असर है तो मुझ से क्यों मेरा हाल पूछो हो देख लो ग़ौर से नज़र है तो दौलत-ए-इल्म तो हमारी है क्या हुआ उन के पास ज़र है तो तुम भी पत्थर किसी पे मत फेंको शीशे जैसा तुम्हारा घर है तो प्यार से पेश आओ दुश्मन से ज़ेर हो जाएगा ज़बर है तो लफ़्ज़-ए-शर तो बशर में शामिल है क्यों हो हैराँ बशर में शर है तो ठेस लगते ही शीशा टूट गया दास्ताँ दिल की मुख़्तसर है तो फ़िक्र मंज़िल की क्यों करें 'बेबाक' राहबर अपना मो'तबर है तो