मत कह बुरा किसी को जो कोई बुरा भी है बंदे की हर ख़ता में ख़ुदा की रज़ा भी है मत कर मलाल इस का जो तुझ को मिला नहीं तेरा है कब तलक वो जो तुझ को मिला भी है उस का न रोना रो तू जो तुझ से है छिन गया रह जाएगा यहीं पे जो बाक़ी बचा भी है तू भूल कर न देना 'अदू को भी बद-दु'आ तेरा है जो ख़ुदा वो 'अदू का ख़ुदा भी है औरों की तू बिगाड़ के अपनी सँवार मत जिस में सभी का है भला तेरा भला भी है तेरा ही घर जला हो ज़रूरी नहीं 'सदा' होगा भला इसी में गर ऐसा हुआ भी है