मौजूदगी का उस की असर होने लगा है सब उस के सिवा महव-ए-नज़र होने लगा है अतराफ़ मिरे ख़ाक उड़ा करती है अक्सर तय अब मिरी जानिब भी सफ़र होने लगा है पुरखों से चली आती है ये नक़्ल-ए-मकानी अब मुझ से भी ख़ाली मिरा घर होने लगा है जल्दी से मैं अब उस की तरफ़ रुख़ नहीं करता आईना मिरा सीना-सिपर होने लगा है तरतीब अनासिर की बिगड़ने लगी शायद आलम मिरा अब ज़ेर-ओ-ज़बर होने लगा है अब संग-दिली मुझ से छुपाए नहीं छुपती आँखों से नुमूदार शरर होने लगा है अर्सा कोई दरकार हुआ करता था 'राही' अब रोज़ कोई मारका सर होने लगा है