मौसम-ए-गुल है नक़ाब-ए-हुस्न उठ जाने का नाम है नशात-ए-जान-ओ-दिल उस दौर के आने का नाम तंग ज़ेहनों में है मातम गर्दिश-ए-अय्याम का महफ़िल-ए-हस्ती को दे रक्खा है ग़म-ख़ाने का नाम जब कभी छिड़ता है ज़िक्र-ए-रस्म-ओ-राह-ए-आशिक़ी लोग लेते हैं अदब से तेरे दीवाने का नाम उन की याद उन का तसव्वुर उन का ग़म उन की ख़ुशी ज़िंदगी है मेरी बस उन में ही खो जाने का नाम मैं अगर नाकाम हूँ नाकाम रहने दीजिए क्या पड़ी है आप को लें रहम फ़रमाने का नाम हर बुराई मस्लहत के नाम से है अब रिदा दे चुके हैं लोग मक़्तल को सनम-ख़ाने का नाम इस मोहब्बत में हैं 'अंजुम' सैंकड़ों दुश्वारियाँ सोच कर लेने किसी ज़ालिम को अपनाने का नाम