मौत भी सामने आ जाए तो उड़ सकता हूँ इतना अच्छा हूँ कि अब सिर्फ़ बिगड़ सकता हूँ मैं वो बस्ती हूँ जो बस्ती है उजड़ने के लिए मुझ को आदत है उजड़ने की उजड़ सकता हूँ तुम से पहले भी कई छोड़ चुके है मुझ को तुम से पहले भी मैं बिछड़ा हूँ बिछड़ सकता हूँ कौन करता है यहाँ जंग नतीजे के लिए जीत कर हारने वाले से झगड़ सकता हूँ दौड़ में जितने भी लड़के हैं वो जूते में हैं मैं बिना पाँव हूँ मुमकिन है पिछड़ सकता हूँ मैं तुम्हें चाँद सितारे तो नही दे सकता तंग लम्हों में मगर हाथ पकड़ सकता हूँ